જાણો આપણા દેશ ભારત વિશે
- भारत ने अपने आखिरी 100000 वर्षों के इतिहास में किसी भी देश पर हमला नहीं किया है।
- जब कई संस्कृतियों में 5000 साल पहले घुमंतू वनवासी थे, तब भारतीयों ने सिंधु घाटी (सिंधु घाटी सभ्यता) में हड़प्पा संस्कृति की स्थापना की।
- भारत का अंग्रेजी में नाम ‘इंडिया’ इंडस नदी से बना है, जिसके आस पास की घाटी में आरंभिक सभ्यताएं निवास करती थी। आर्य पूजकों में इस इंडस नदी को सिंधु कहा।
- ईरान से आए आक्रमणकारियों ने सिंधु को हिंदु की तरह प्रयोग किया। ‘हिंदुस्तान’ नाम सिंधु और हिंदु का संयोजन है, जो कि हिंदुओं की भूमि के संदर्भ में प्रयुक्त होता है।
- शतरंज की खोज भारत में की गई थी।
- बीज गणित, त्रिकोण मिति और कलन का अध्ययन भारत में ही आरंभ हुआ था।
- ‘स्थान मूल्य प्रणाली’ और 'दशमलव प्रणाली' का विकास भारत में 100 बी सी में हुआ था।
- विश्व का प्रथम ग्रेनाइट मंदिर तमिलनाडु के तंजौर में बृहदेश्वर मंदिर है। इस मंदिर के शिखर ग्रेनाइट के 80 टन के टुकड़ों से बने हैं। यह भव्य मंदिर राजाराज चोल के राज्य के दौरान केवल 5 वर्ष की अवधि में (1004 ए डी और 1009 ए डी के दौरान) निर्मित किया गया था।
- भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और विश्व का सातवां सबसे बड़ा देश तथा प्राचीन सभ्यताओं में से एक है।
- सांप सीढ़ी का खेल तेरहवीं शताब्दी में कवि संत ज्ञान देव द्वारा तैयार किया गया था इसे मूल रूप से मोक्षपट कहते थे। इस खेल में सीढियां वरदानों का प्रतिनिधित्व करती थीं जबकि सांप अवगुणों को दर्शाते थे। इस खेल को कौडियों तथा पांसे के साथ खेला जाता था। आगे चल कर इस खेल में कई बदलाव किए गए, परन्तु इसका अर्थ वहीं रहा अर्थात अच्छे काम लोगों को स्वर्ग की ओर ले जाते हैं जबकि बुरे काम दोबारा जन्म के चक्र में डाल देते हैं।
- दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिकेट का मैदान हिमाचल प्रदेश के चायल नामक स्थान पर है। इसे समुद्री सतह से 2444 मीटर की ऊंचाई पर भूमि को समतल बना कर 1893 में तैयार किया गया था।
- भारत में विश्व भर से सबसे अधिक संख्या में डाक खाने स्थित हैं।
- भारतीय रेल देश का सबसे बड़ा नियोक्ता है। यह दस लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
- विश्व का सबसे प्रथम विश्वविद्यालय 700 बी सी में तक्षशिला में स्थापित किया गया था। इसमें 60 से अधिक विषयों में 10,500 से अधिक छात्र दुनियाभर से आकर अध्ययन करते थे। नालंदा विश्वविद्यालय चौथी शताब्दी में स्थापित किया गया था जो शिक्षा के क्षेत्र में प्राचीन भारत की महानतम उपलब्धियों में से एक है।
- आयुर्वेद मानव जाति के लिए ज्ञात सबसे आरंभिक चिकित्सा शाखा है। शाखा विज्ञान के जनक माने जाने वाले चरक में 2500 वर्ष पहले आयुर्वेद का समेकन किया था।
- भारत 17वीं शताब्दी के आरंभ तक ब्रिटिश राज्य आने से पहले सबसे सम्पन्न देश था। क्रिस्टोफर कोलम्बस भारत की सम्पन्नता से आकर्षित हो कर भारत आने का समुद्री मार्ग खोजने चला और उसने गलती से अमेरिका को खोज लिया।
- नौवहन की कला और नौवहन का जन्म 6000 वर्ष पहले सिंध नदी में हुआ था। दुनिया का सबसे पहला नौवहन संस्कृत शब्द नव गति से उत्पन्न हुआ है। शब्द नौ सेना भी संस्कृत शब्द नोउ से हुआ।
- भास्कराचार्य ने खगोल शास्त्र के कई सौ साल पहले पृथ्वी द्वारा सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने में लगने वाले सही समय की गणना की थी। उनकी गणना के अनुसार सूर्य की परिक्रमा में पृथ्वी को 365.258756484 दिन का समय लगता है।
- भारतीय गणितज्ञ बुधायन द्वारा 'पाई' का मूल्य ज्ञात किया गया था और उन्होंने जिस संकल्पना को समझाया उसे पाइथागोरस का प्रमेय करते हैं। उन्होंने इसकी खोज छठवीं शताब्दी में की, जो यूरोपीय गणितज्ञों से काफी पहले की गई थी।
- बीज गणित, त्रिकोण मिति और कलन का उद्भव भी भारत में हुआ था। चतुष्पद समीकरण का उपयोग 11वीं शताब्दी में श्री धराचार्य द्वारा किया गया था। ग्रीक तथा रोमनों द्वारा उपयोग की गई की सबसे बड़ी संख्या 106 थी जबकि हिन्दुओं ने 10*53 जितने बड़े अंकों का उपयोग (अर्थात 10 की घात 53), के साथ विशिष्ट नाम 5000 बीसी के दौरान किया। आज भी उपयोग की जाने वाली सबसे बड़ी संख्या टेरा: 10*12 (10 की घात12) है।
- वर्ष 1896 तक भारत विश्व में हीरे का एक मात्र स्रोत था। (स्रोत: जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ अमेरिका)
- बेलीपुल विश्व में सबसे ऊंचा पुल है। यह हिमाचल पर्वत में द्रास और सुरु नदियों के बीच लद्दाख घाटी में स्थित है। इसका निर्माण अगस्त 1982 में भारतीय सेना द्वारा किया गया था।
- सुश्रुत को शल्य चिकित्सा का जनक माना जाता है। लगभग 2600 वर्ष पहले सुश्रुत और उनके सहयोगियों ने मोतियाबिंद, कृत्रिम अंगों को लगना, शल्य क्रिया द्वारा प्रसव, अस्थिभंग जोड़ना, मूत्राशय की पथरी, प्लास्टिक सर्जरी और मस्तिष्क की शल्य क्रियाएं आदि की।
- निश्चेतक का उपयोग भारतीय प्राचीन चिकित्सा विज्ञान में भली भांति ज्ञात था। शारीरिकी, भ्रूण विज्ञान, पाचन, चयापचय, शरीर क्रिया विज्ञान, इटियोलॉजी, आनुवांशिकी और प्रतिरक्षा विज्ञान आदि विषय भी प्राचीन भारतीय ग्रंथों में पाए जाते हैं।
- भारत से 90 देशों को सॉफ्टवेयर का निर्यात किया जाता है।
- भारत में 4 धर्मों का जन्म हुआ - हिन्दु, बौद्ध, जैन और सिक्ख धर्म और जिनका पालन दुनिया की आबादी का 25 प्रतिशत हिस्सा करता है।
- जैन धर्म और बौद्ध धर्म की स्थापना भारत में क्रमश: 600 बी सी और 500 बी सी में हुई थी।
- इस्लाम भारत का और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है।
- भारत में 3,00,000 मस्जिदें हैं जो किसी अन्य देश से अधिक हैं, यहां तक कि मुस्लिम देशों से भी अधिक।
- भारत में सबसे पुराना यूरोपियन चर्च और सिनागोग कोचीन शहर में है। इनका निर्माण क्रमश: 1503 और 1568 में किया गया था।
- ज्यू और ईसाई व्यक्ति भारत में क्रमश: 200 बी सी और 52 ए डी से निवास करते हैं।
- विश्व में सबसे बड़ा धार्मिक भवन अंगकोरवाट, हिन्दु मंदिर है जो कम्बोडिया में 11वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया था।
- तिरुपति शहर में बना विष्णु मंदिर 10वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया था, यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक गंतव्य है। रोम या मक्का धार्मिक स्थलों से भी बड़े इस स्थान पर प्रतिदिन औसतन 30 हजार श्रद्धालु आते हैं और लगभग 6 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति दिन चढ़ावा आता है।
- सिक्ख धर्म का उद्भव पंजाब के पवित्र शहर अमृतसर में हुआ था। यहां प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर की स्थापना 1577 में गई थी।
- वाराणसी, जिसे बनारस के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन शहर है जब भगवान बुद्ध ने 500 बी सी में यहां आगमन किया और यह आज विश्व का सबसे पुराना और निरंतर आगे बढ़ने वाला शहर है।
- भारत द्वारा श्रीलंका, तिब्बत, भूटान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के 3,00,000 से अधिक शरणार्थियों को सुरक्षा दी जाती है, जो धार्मिक और राजनैतिक अभियोजन के फलस्वरूप वहां से निकल गए हैं।
- माननीय दलाई लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के निर्वासित धार्मिक नेता है, जो उत्तरी भारत के धर्मशाला में अपने निर्वासन में रह रहे हैं।
- युद्ध कलाओं का विकास सबसे पहले भारत में किया गया और ये बौद्ध धर्म प्रचारकों द्वारा पूरे एशिया में फैलाई गई।
- योग कला का उद्भव भारत में हुआ है और यह 5,000 वर्ष से अधिक समय से मौजूद है।
भारत और विश्व
भारत की विदेश नीति में देश के विवेकपूर्ण स्व-हित की रक्षा करने पर बल दिया जाता है। भारत की विदेश नीति का प्राथमिक उद्देश्य शांतिपूर्ण स्थिर बाहरी परिवेश को बढ़ावा देना और उसे बनाए रखना है, जिसमें समग्र आर्थिक और गरीबी उन्मूलन के घरेलू लक्ष्यों को तेजी से और बाधाओं से मुक्त माहौल में आगे बढ़ाया जा सकें। सरकार द्वारा सामाजिक- आर्थिक विकास को उच्च प्राथमिकता दिए जाने को देखते हुए, क्षेत्रीय और वैश्विक दोनों ही स्तरों पर सहयोगपूर्ण बाहरी वातावरण कायम करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए, भारत अपने चारों ओर शांतिपूर्ण माहौल बनाने के प्रयास करता है। और अपने विस्तारित पास-पड़ोस में बेहतर मेल-जोल के लिए काम करता है। भारत की विदेश नीति में इस बात को भली-भांति समझा गया है। कि जलवायु परिवर्तन ऊर्जा उनके समाधान के लिए वैश्विक सहयोग अनिवार्य है।
बीते वर्ष में कई रचनात्मक कार्य हुए, कुछ महत्वपूर्ण सफलताएं हासिल की गई, और भारत की नीति के समक्ष कुछ नयी चुनौतियां भी सामने आयीं
पड़ोसी देशों के साथ भारत की साझा नीति है। वर्ष के दौरान भूटान में महामहिम के राज्यभिषेक और लोकतंत्र की स्थापना से इस देश के साथ भारत के संबंधो का और विकास हुआ। भारत ने लोकतांत्रिक राजसत्ता में नेपाल के रूपान्तरण और बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली का जोरदार समर्थन किया भारत ने अफगानिस्तान के निर्माण और विकास में योगदान किया है पड़ोसी देशों के साथ मित्रतापूर्ण और घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंध बनाए रखने के अलावा, भारत ने सार्क (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) को एक ऐसे परिणामोन्मुखी संगठन के रूप में विकसित करने की लिए भी काम किया है, जो क्षेत्रीय एकीकरण को प्रभावकारी ढंग से प्रोत्साहित कर सके।
जनवरी, 2008 में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह की चीन की सरकारी यात्रा और जून, 2008 में विदेश मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी की चीन-यात्रा के साथ द्विपक्षीय संबंध और मजबूत हुए। भारत चीन सीमा पर स्थिति शांतिपूर्ण रही जबकि विशेष प्रतिनिधियों द्वारा सीमा विवाद के समाधान के प्रयास जारी रहे। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग से आपसी विश्वास बढ़ाने में मदद मिली चीन ने सितंबर, 2008 में कोलकाता में नए वाणिज्य दूतावास की स्थापना की और इससे पहले भारत ने जून, 2008 ग्वांझो (Guangzhou) में वाणिज्य दूतावास खोला था।
एक प्रमुख उपलब्धि अक्टूबर, 2008 में भारत- अमेरिका सिविल परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के रूप में सामने आयी। इस समझौते से परमाणु क्षेत्र में भारत को वह प्रौद्योगिकी मिलने का रास्ता साफ हो गया, जिससे वह पिछले तीन दशक से वंचित था। इस द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद भारत ने असैनिक परमाणु सहयोग के बारे में फ्रांस, रूस और कज़ाकिस्तान के साथ ऐसे ही समझौते पर हस्ताक्षर किए। भारत-अमरीकी महत्वपूर्ण भागीदारी को सितंबर 2008 में प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह की अमेरिका यात्रा से और भी बल मिला, जब उन्होनें वाशिंगटन में अमरीकी राष्ट्रपति जोर्ज डब्लू बुश के साथ द्विपक्षीय बैठक और नवंबर में जी-20 शिखर सम्मेलन के अवसर पर भी श्री बुश से भेंट की। अमेरिका भारत का सबसे व्यापार भागीदार और प्रौद्योगिकी का स्रोत रहा है।
वर्ष के दौरान रूस के साथ भारत की परमंपरागत मित्रता और सामरिक संबंध और मजबूत किए गए। रूसी परिसंघ श्री दिमित्री मेदवेदेव ने दिसंबर 2008 में वार्षिक शिखर बैठक के लिए भारत की सरकारी यात्रा की। वर्ष 2008 को भारत में रूस के वर्ष रूप में मनाया गया वर्ष 2009 रूस में भारत के वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। रूस के साथ अपने सामरिक संबंध एव सांस्कृतिक संबंधो को और मजबूत करना चाहता है तथा इस क्षेत्र के साथ और भी घनिष्ठ रूप में जुड़ना चाहता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मध्य एशियाई देशों के सहयोग अधिक वास्तविक और विविधतापूर्ण हो सके।
भारत ने प्रतिरक्षा और सुरक्षा, परमाणु एवं अंतरिक्ष, व्यापार एवं निवेश ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, संस्कृति और शिक्षा जैसे विविध क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण भागीदार, यूरोपीय संघ किए है। यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और निवेश प्रमुख स्रोतों में से एक है।
भारत ने अफ्रीका देशों के साथ अपने पंरपरागत मैत्रीपूर्ण और सहयोगात्मक संबंधों को महत्व देना जारी रखा है। इस संदर्भ में अप्रैल, 2008 मे भारत-अफ्रीका मंच का प्रथम शिखर सम्मेलन एक ऐतिहासिक घटना थी, जिसमें दिल्ली घोषणा पारित की गई और सहयोग के लिए भारत-अफ्रीका फ्रेमवर्क किया गया ये दोनों दस्तावेज भारत और अफ्रीका के बीच सहयोग की भावी रूप-रेखा को परिभाषित करते हैं। विदेश मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी ने 26 फरवरी,2009 को नई दिल्ली में भारत की प्रतिष्टित परियोजना पैन-अफ्रीकन ई-नेटवर्क का उद्घाटन किया।
लैटिन अमरीकी और कैरिबियाई क्षेत्र के देशों के साथ सुदृढ़ संबंध कायम करने के भारत के प्रयासों के हाल के वर्षो में प्रभावशाली परिणाम सामने आये हैं। इन देशों के साथ विभिन्न स्तरों पर प्रतिनिधिक-क्षेत्रगत वार्ताएं हुई है। और आपसी लाभप्रद सहयोग के लिए संस्थागत व्यवस्था का फ्रेमवर्क तैयार हुआ है।
पश्चिमी एशिया और खाड़ी क्षेत्र के देशों के साथ भारत के सहयोग का स्वरूप समसामयिक रहा है, जिसमें बाहरी आंतरिक शांतिपूर्ण उपयोग और भारतीय प्रक्षेपण यानों का इस्तेमाल शामिल है। इस क्षेत्र में भारत से जाकर बसे करीब 50 लाख प्रवासी रहते हैं, जिन्होंने भारत और खाड़ी क्षेत्र, दोनों के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया है।
भारत आसियान और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ सहयोग को 21वीं सदी में अपनी कूटनीति का महत्तवपूर्ण आयाम समझता है, जो भारत की लुक ईस्ट पॉलिसी यानी पूरब की ओर देखो नीति में स्पष्ट रूप से झलकता है।
2009 में, भारत ने अपने आर्थिक एवं तकनीकी सहयोग के नेटवर्क का महत्वपूर्ण विस्तार किया है। हाल में गठित मंचों, जैसे आईआरसी (भारत-रूस-चीन), ब्रिक (ब्राजील-रूस-भारत-चीन) और इब्सा (भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका) में भारत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने के लिए तैयार है। भारत ने आसियान पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन बीआईएमएसटीईसी (बिम्सटेक), मेकांग-गंगा सहयोग, जी-15 और जी-8 जैसे आर्थिक संगठनों के साथ जुड़ने के निरन्तर प्रयास किए हैं।
बहुराष्ट्रवाद के प्रति सुदृढ़ प्रतिबतद्धता रखते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा को मजबूत बनाने में योगदान किया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र परिषद में सुधार और यूएनजीए के पुनरूत्थान के प्रस्तावों का समर्थन किया है। भारत चाहता है कि विकासशील देशों और उभरती ताकतों की उचित आकांक्षाओं को देखते हुए वैश्विक संस्थान विश्व-व्यवस्था की नई वास्तविकाताओं के अनुरूप बनें।
इन रचनात्मक गतिविधियों के साथ-साथ देश के आंतकवाद पीडित स्थानों और सीमा-पारी के आंतकवाद से भारत की अस्थिर सुरक्षा सहित राष्ट्र की सुरक्षा की दृष्टि से 2008-09 में भारत की विदेशी नीति को नए खतरों का सामना करना पड़ा।
2008-09 में पाकिस्तान के साथ समग्र वार्ता पांचवे दौर में पहुची। यह वार्ता पाकिस्तान के इस घोषित वायदे पर आधरित थी कि वह किसी भी तरह से भारत के खिलाफ आंतकवाद के लिए अपने नियंत्रण वाली भूमिका का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देगा। किंतु जुलाई, 2008 में काबुल मे भारतीय दूतावास पर और नवंबर, 2008 में मुंबई पर पाकिस्तान की धरती से किए गए आंतकवादी हमलों से यह सिद्ध हो गया कि पाकिस्तान अपना वायदा निभाने में सक्षम नहीं रहा है। इसे देखते हुए वार्ता प्रक्रिया निलंबित होना स्वाभविक थी।
मुंबई हमलों की विश्वभर में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने निंदा की। पाकिस्तान और पूरी दुनिया के समक्ष इस बात के ठोस सबूत किए गए कि इन हमलों की साजिश में पाकिस्तानी नागरिक शामिल थे और उन्होंने ही हमलों को अंजाम दिया। किंतु पाकिस्तान की परवर्ती कार्रवाइयां विलंबकारी और भ्रम फैलाने वाली रही और यही वजह है कि वह अभी तक हमलों की साजिश रचने वालों को दंडित नहीं करा पाया है अथवा पाकिस्तान की धरती से भारत के खिलाफ चलाए जा रहे आंतकवाद के ढ़ाचे को नष्ट नहीं कर पाया है।
2008 में श्रीलंका में एलटीटीई की पंरपरागत सैन्य क्षमता को समाप्त करने के लिए बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान चलाए गए, जिसमें बड़ा मानवीय संकट पैदा हुआ। भारत न वहां के नागरिकों और आंतरिक रूप में विस्थापित व्यक्तियों के लिए राहत आपूर्ति तथा चिकित्सा सहायता के राजनीतिक संकट में श्रीलंका की सहायता करने के प्रयास भी निरंतर जारी से जातीय समस्या के राजनीतिक समाधान में प्रवेश को देखते हुए, भारत एकीकृत श्रीलंका के फ्रेमवर्क के भीतर मुदृदों के ऐसे शांतिपूर्ण समाधान के लिए काम करेगा, जो विशेष रूप से तमिलों सहित देश के सभी समुदायों को स्वीकार्य हो।
वर्ष के दौरान अन्य चुनौती बिगड़ती हुई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक स्थिति थी। अंतराष्ट्रीय वित्तीय संकट ने आर्थिक संकट का रूप ले लिया क्योंकि प्रमुख प्रश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं और बाजारों में मंदी छा जाने से भारत के विकास में सहायक अंतराष्ट्रीय माहौल तेजी से बदल गया। इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में 2008-2009 के दौरान 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई, और वह विश्व अर्थव्यवस्था में वृद्धि एवं स्थिरता का घटक बनी है। संकट से निबटने के जी-20 देशों जैसे, अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में भारत ने सक्रिय भूमिका अदा की, ताकि विकासशील देशों के हितों की रक्षा की जा सके भारत ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास भी किया कि वैश्विक आर्थिक मुदृदों के बारे में निर्णय करने वाली अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था लोकतांत्रिक हो जो मौजूदा वास्तविकताओं को व्यक्त करे।
वर्ष 2008 की समाप्ति पर यह स्पष्ट हो गया कि भारत के भविष्य पर दुष्प्रभाव डालने वाले प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मुदृदों जैसे वैश्विक और स्थायी विकास, के हल के लिए सहयागपूर्ण वैश्विक समाधान अनिवार्य है। इन समाधनों को कार्य रूप प्रदान करने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में भारत की सक्रिय एवं भागीदारीपूर्ण भूमिका रही है। भारत उन्हें सफल बनाने में निरंतर योगदान करता रहेगा।
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ReplyDeleteThank you :)
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